लखनऊ । यूपी के सबसे चर्चित माफिया गैंगेस्टर मुख्तार अंसारी की 28 मार्च को बाँदा जेल में मौत हो गयी है।मुख्तार अंसारी जरायम की दुनिया का वो नाम था जिसकी हुकूमत अपराध से लेकर सियासत तक कायम थी।जेल की चहर दिवारी के अंदर बैठ कर मुख्तार अंसारी अपनी हुकूमत चलाना अच्छी तरह से जानता था।मुख्तार अंसारी अपराध की दुनिया का जितना बड़ा नाम था उतनी बड़ी ही उसकी कहानी है।बृजेश सिंह से मुख्तार की अदावत तो जगजाहिर है और इसका सियासी लाभ मुख्तार को मिला….
मुख्तार अंसारी का जन्म जून 1963 में हुआ था।महज 15 साल की उम्र में ही मुख्तार पर पहला NCR दर्ज हुआ। 1986 में गाजीपुर के मुहम्मदाबाद थाने में मुख्तार अंसारी के खिलाफ पहला 302 का मुकदमा लिखा गया।मुख्तार अंसारी देखते ही देखते मुकदमों का सरताज बन गया।हत्या ,गैंगेस्टर ,टाडा से लेकर NSA ,आर्म्स एक्ट,मकोका जैसे संगीन धाराएं कई बार लगी।यूपी ,दिल्ली और पंजाब को मिलाकर मुख्तार अंसारी पर 61 मुकदमें दर्ज हुए।
असलहों का शौकीन था मुख्तार
कुख्यात माफिया मुख्तार अंसारी पर 25 साल की उम्र में पहली बार हत्या का मुकदमा लिखा गया।मुख्तार का सफर एक मामूली ठेकेदार के रूप में हुआ लेकिन जरायम की दुनिया मे कदम रखने के बाद मुख्तार अपराध की दुनिया का बेताज बादशाह बन गया।मुख्तार के जीवन की कहानी किसी फिल्मी कहानी से कम नही है।मुख्तार अंसारी असलहों का शौकीन था।मुख्तार के गुगोँ के पास AK47 से लेकर AK56 और मैग्नम की महंगी पिस्तौलें मौजूद थीं।
उपचुनाव हार गया था मुख्तार,अफजाल ने बढ़ाया था सियासी कद
मुख्तार अंसारी का दबदबा जितना अपराध की दुनिया मे था उतना ही सियासत में भी था।मुख्तार को उस वक्त बढ़ा झटका लगा था जब वह जेल में बैठ कर उपचुनाव लड़ा और चुनाव हार गया।लेकिन मुख्तार के भाई अफजाल अंसारी ने सपा का दामन थामा तो मुख्तार का कद बढ़ गया।मुख्तार पर से मुकदमों की वापसी शुरू हो गयी।कहा जाता है कि मुख्तार को मुलायम और मायावती दोनों ने अभयदान दिया था।एक बार मुख्तार की एक आईपीएस अधिकारी से ठन गयी आखिर में उस अधिकारी को लाबी लंबी छुट्टी पर जाना पड़ा।1996 में मुख्तार अंसारी विधानसभा पहुंचा तो उसका रसूख बढ़ता ही गया।