Wednesday, October 16, 2024

Loksabha Election: डॉ लोहिया की धरती पर पहली बार लहराया समाजवाद का परचम, लालजी वर्मा ने बदल दिया इतिहास…

अम्बेडकरनगर। लोकसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद सपाइयों की बांछे खिल गयी हैं।समाजवाद के पुरोधा डॉ लोहिया की धरती पर पहली बार लोकसभा चुनाव में समाजवाद का परचम फहरा है।लालजी वर्मा लोकसभा चुनाव जीत कर अम्बेडकरनगर में एक इतिहास कायम किया है।अम्बेडकरनगर लोकसभा सीट से पहलीबार कोई पिछड़ी जाति का नेता लोकसभा का चुनाव जीता है।लालजी वर्मा ने 1लाख 37 हजार से अधिक मतों से जीत दर्ज की है।

अम्बेडकरनगर लोकसभा सीट को लेकर सिर्फ भाजपा और सपा इन दो पार्टियों की प्रतिष्ठा दांव पर नही लगी थी बलिक दोनों ही पार्टियों के प्रत्याशियों के सामने अपना सियासी रसूख बचाने की चुनौती थी।जिस तरीके से पूरे चुनाव में भाजपा प्रत्याशी रितेश पांडे द्वारा माहौल बनाया गया उससे सियासत और गर्म हो गयी।लालजी वर्मा पर भाजपा के सियासी हमले व लालजी वर्मा और उनके समर्थकों पर प्रशासन की कार्रवाई भी एक चुनावी मुद्दा बन गया।दोनों ही प्रत्याशियों ने अपनी पूरी ताकत लगा दी लेकिन आखिर में सियासी नब्ज पकड़ने में माहिर लालजी वर्मा ने भाजपा प्रत्याशी रितेश पांडे को करारी शिकस्त दे दी।यूपी के तमाम कुर्मी बाहुल्य जिलों में लालजी वर्मा की मजबूत पकड़ है और इस चुनाव में सपा को इसका फायदा भी मिला।

ऐसा है सपा प्रत्याशी लालजी वर्मा का सियासी कैरियर

लालजी वर्मा की गणना जमीन से जुड़े जुझारू नेता के रूप में होती है।किसान परिवार में जन्मे लालजी वर्मा ने सियासत की शुरुआत अपने छात्र जीवन से ही शुरू कर दी थी।इलाबाद से कृषि विज्ञान में परास्नातक करने लालजी वर्मा छात्र संघ के महामंत्री रहे।1986 में पहली बार विधानपरिषद का चुनाव लड़े और जीत कर सदन पहुंचे लेकिन बीच मे ही इस्तीफा दे कर 1992 में पहली बार विधानसभा का चुनाव लड़े और जीत हासिल की।लालजी वर्मा चार बार टांडा विधान सभा से और दो बार कटेहरी विधानसभा से विधायक हैं। 2007 में लालजी वर्मा बसपा के प्रदेश अध्यक्ष रहे और इनके नेतृत्व में बसपा को पूर्ण बहुमत मिला था।बसपा सरकार में लालजी वर्मा वित्त,संसदीय कार्य और चिकित्सा शिक्षा जैसे कई महत्वपूर्ण विभागों के मंत्री भी रहे।लालजी वर्मा के ही कार्यकाल में अम्बेडकरनगर में मेडिकल कालेज से लेकर इंजीनियरिंग कालेज तक की स्थापना हुई। लालजी वर्मा तीन बार प्रदेश सरकार में मंत्री रहे। अखिलेश यादव ने लालजी वर्मा को प्रत्याशी बना कर पिछड़ा दलित और अल्पसंख्यक की सियासत को साधने का जो प्रयास किया था उसमें सपा को बड़ी सफलता भी मिली है।

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