Wednesday, October 16, 2024

Loksabha election … तो इस वजह से बीजेपी हार गई अंबेडकरनगर लोकसभा सीट !

अम्बेडकरनगर।विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद अब लोकसभा चुनाव में भी भाजपा को बड़ी शिकस्त मिली है।जिले में लगातार भाजपा की हार को लेकर चर्चाओं का माहौल भी गर्म है।इस सियासी हार को लेकर अब हार के पीछे की वजह भी लोग तलाश रहे हैं।

अम्बेडकरनगर लोकसभा सीट सपा की जीत में उसके नेताओं की महत्वपूर्ण भूमिका रही।सपा प्रत्याशी लालजी वर्मा का लंबा सियासी सफर हमेशा आम जनता और जमीन से जुड़ा रहा है।लालजी वर्मा का शालीन स्वभाव और बेदाग छवि है।जिले के विकास के लिए किए गए कार्यों को लेकर आम लोगों में काफी उत्साह रहा है।सपा की जीत में सपा के तीन विधायकों राम मूर्ति वर्मा,राम अचल राजभर और त्रिभुवन दत्त के साथ ही सपा संगठन की भूमिका महत्वपूर्ण रही।जबकि वहीं दूसरी तरफ भाजपा में प्रत्याशी और संगठन में ताल मेल कम ही दिखा, तमाम नेताओं को अविश्वास की नजर से देखा गया।सपा की जीत में पीडीए का नारा भी महत्वपूर्ण रहा।बेरोजगारी, आरक्षण, संविधान और महंगाई को पीडीए ने ऐसा मुद्दा बनाया कि भाजपा का कट्टर हिंदुत्व और राम मंदिर मुद्दा पीछे छूट गया।लालजी वर्मा ने अल्पसंख्यक, पिछड़ा और दलितों के अधिकारियों का मुद्दा इस तरीके से उठाया कि पूरे चुनाव में जातीय भेद टूट कर पिछड़े ,दलित और अल्पसंख्यक एक मंच पर आ गाए।

इन मुद्दों ने भी बदल दिया समीकरण !

लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा प्रत्याशी के करीबियों द्वारा चुनाव में बाहुबल का प्रयोग करना भाजपा के लिए हानिकारक हुआ।जिस तरीके से तमाम ग्राम प्रधानों को धमकी और बूथ पर पिटाई का मामला आया उससे हवा का रुख बदल गया।वोटिंग के दिन सपा प्रत्याशी के करीबियों के पुलिस का पहुंचना और लालजी वर्मा से पुलिस की झड़प का वीडियो वायरल होना चुनाव की तस्वीर को बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा किया।

प्रशासन की मनमानी और भाजपा नेताओं की उपेक्षा का शिकार हो गयी भाजपा!

जानकारों का मानना है कि जिले में जिस तरीके से प्रशासनिक मशीनरी हावी है उसका भी खामियाजा भुगतना पड़ा।प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा भाजपा नेताओं की उपेक्षा करने की बात लगातार सामने आती रही है।अधिकारियों द्वारा नेताओ की सुनवाई न होने से आम जनता नेताओं से दूर होती गयी ।भाजपा की बैठकों में तमाम नेता यह आरोप लगाते रहे कि जिले के अधिकारी वाजिब काम करने में भी हीलाहवाली करते हैं।नेताओं को सम्मान नही मिलता।आरोप यह भी लगता रहा है कि नेताओं के सिपारिस पर काम नही होता लेकिन पैसा लेकर काम हो जाता है।

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