अंबेडकरनगर । खबर के साथ लगी दो फोटो को गौर से देख लीजिए । ये दोनो तस्वीरें मेडिकल कॉलेज की दुर्दशा बयां करने के लिए काफी हैं ।पहली तस्वीर में एक महिला व्हील चेयर पर मरीज को ले जा रही है । इमरजेंसी के पास एंबुलेंस से मरीज को उतारने के बाद जब कोई कर्मी नही मिला तो महिला उसे लेकर चल दी । दूसरी तस्वीर में एक स्ट्रेचर पर मरीज लेटा हुआ है । स्ट्रेचर को रैंप से ले जाया जा रहा है । एक आदमी उसे खींच रहा है और एक महिला उसे धक्का दे रही है । ये दोनों ही तस्वीरें यह बताने के लिए काफी है कि यहां पर मरीजों को मिलने वाली सुविधा की हकीकत क्या है।
योगी सरकार के आठ साल पूरा होने के बाद प्रशासन सरकार की उपलब्धियों का बखान कर रहा है । वहीं राजकीय मेडिकल कॉलेज की व्यवस्था बदहाल है । आंकड़ों की चका चौंध के बीच हकीकत खस्ताहाल है ।
महामाया राजकीय एलोपैथिक मेडिकल कॉलेज की व्यवस्था में सुधार होता दिखाई नही दे रहा है । मेडिकल कॉलेज की व्यवस्था सरकार और प्रशासन के दावों की पोल खोल रहा है । राजकीय मेडिकल कॉलेज की व्यवस्था संभालने के लिए तकरीबन 480 कर्मी आउटसोर्सिंग के तहत काम कर रहे हैं । इन कर्मियों पर सरकार प्रतिमाह लगभग 72 लाख रुपए खर्च कर रही है । कागजों में तो व्यवस्था चाक चौबंद है लेकिन हकीकत में खस्ताहाल है । सरकार द्वारा इतना पैसा खर्च करने के बावजूद भी मरीजों को सुविधाएं नही मिल पा रही हैं । परिजनों की परेशानी से परेशान तीमारदार जब मेडिकल कॉलेज पहुंचता है तो उसे सारी व्यवस्था खुद ही देखने को मजबूर होना पड़ता है । दूसरी ओर तीसरी मंजिल पर मरीजों को खुद ही ले जाना पड़ता है । इस बारे में जब कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ आभास कुमार से बात करने का प्रयास किया गया तो उनसे संपर्क नही हो सका ।